गणेशजी - दूर्वा - औषधि
भगवान गणेशजी को चढ़ाया जानेवाला दूर्वा (घांस) औषधि का भी काम करता है।
पूजा की सामग्रीमें जो घांस देखने को मिलती है उसे दूर्वा कहा जाता है। दूर्वा पूजाविधि के लिए बहोत इम्पोर्टेन्ट है। भारतीय संस्कृति में कोई भी धार्मिक पूजा होती है तो वो भगवान गणेशजी की पूजा से ही शुरू होती है। दूर्वा चढाने से भगवान् गणेशजी अति प्रसन्न होते है। दोस्तों इस दूर्वा की कथाऐं हमें हमारे बुजुर्गो के द्वारा सुनने को मिलती है। वो भी हर क्षेत्र में भिन्न कथाएं। तो दोस्तों चलिए देखते है एक पौराणिक कथा।
पौराणिक कथा
बहोत पुरानी बात है। प्राचीन समय में अनलासुर नामका एक राक्षस था। अनलासुर राक्षस का प्रकोप इतना बढ़ चूका था , वो धरती और स्वर्ग दोनों जगह आतंक मचा रहा था। अनलासुर राक्षस के सामने आनेवाले हर एक इंसानो को जिन्दा निगल जाता था। वो चाहे ऋषिमुनि हो या बूढ़े, बच्चे, जवान सबको जिन्दा निगल जाता था। दृस्ट राक्षस से त्राहित हो कर देवराज इंद्र तथा सभी देवी - देवताएँ और अन्य प्रमुख ऋषि-मुनिओ साथ में देवाधि देव महादेव के पास प्रार्थना करने के लिए पहुंचे थे। सभी लोगो ने शिवजी को अनलासुर के आतंक के बारे में बात की और उसके आतंक को नाश करने को कहा, शिवजी ने सबकी बातों को सुना और कहा की अनलासुर का नाश सिर्फ गणेश ही कर सकते है।
श्री गणेशजी ने अनलासुर राक्षस को पूरा ही निगल लीया। उसके बाद गणेशजी को पेट में बहुत जलन होने लगी। अनेक उपाय आजमाए की पेटमे होने वाली जलन मिट जाये लेकिन जलन मिटनेका नाम नहीं लेती थी। तब कश्यप ऋषि ने दूर्वा (घांस) की २१ गांठ बांध कर श्री गणेशजी को खानेके लिए दी, वह खानेसे गणेशजी को पेट में होनेवाली जलन में राहत मिलने लगी। तब से गणेशजी को दूर्वा (घांस) चढाने की परंपरा शुरु हुई थी, जो आज थी यथावत है।
दूर्वा (घांस)- एक औषधि
भारतीय संस्कृति हमारी विरासत है, अनमोल है। जिसमे ज्ञान का भंडार छिपा है। जिस से हमें सन्देश मिलते है, के पेट में जब भी जलन हो तो दूर्वा खा कर पेट में होनेवाली जलन में राहत मिलती सकती है।
दूर्वा हमारे शरीर के लीए दवाई का काम करती है। मानसिक शांति में भी बहोत लाभकारी है। दूर्वा को देखने से भी आँखों को ठंडक मिलती है। दूर्वा एंटीबायोटिक औषधि है। वैज्ञानिको ने शोध की है, के दूर्वा कैंसर रोगियों को भी लाभ देती है।
शास्त्रानुसार मान्यताएं
श्री गणेशजी की विशेष पूजा बुधवार के दिन की जाती है। बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही कुंडली में अगर बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो पूजा करने से राहत मिलती है। तदुपरांत मिथुन और कन्या जातको का स्वामी भी बुध होता है। और बुध के स्वामी श्री गणेशजी है। इसलिए यह राशि वालो को हमेशा गणेशजी की पूजा करनी चाहिए , ताकि गणेशजी प्रसन्न रहे। श्री गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए यह आजमा सकते है।
- बुधवार को स्नान कर के श्री गणेशजी के मंदिर जाकर ११ या २१ गांठ बंधी हुई दूर्वा गणेशजी को अर्पित करे।
- हनुमानजी के साथ गणेशजी को भी सिंदूर चढ़ाया जाता है। उससे कस्ट दूर होते है।
- बुधवार के दिन गरीबो को मुंग का दान करने से ग्रह शांत होते है।
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